साख्यं पतंजलि ( नक्षत्र गुण )
साख्यं पतंजलि ( नक्षत्र गुण )
‘साख्य-पतांजली' प्रणाली के अनुसार विभिन्न ग्रह प्रत्येक नक्षत्र में स्थित होने के अनुसार कुछ प्रत्येक गुण अथवा प्रभाव ग्रहण करते हैं। यह गुण अथवा प्रभाव सम्बन्धित घर को प्रभावित करते हैं। प्रत्येक नक्षत्र इन ग्रहों को अपनी-अपनी स्थिति के अनुसार शक्तियां तथा गुण प्रदान करते हैं। ये गुण तीन प्रकार के होते हैं : तामस (निष्क्रिय) 2. राजस (अशान्त) 3. सात्व (सत्य) । प्रत्येक ग्रह विभिन्न नक्षत्रों में अपनी स्थिति के अनुसार निम्नलिखित गुण/प्रभाव उत्पन्न करते हैं :

तामसिक गुण (निष्क्रिय) :
अश्विनी,
आर्द्रा,
मृगशीर्ष,
पौष,
माघ,
चित्रा,
स्वाति,
अनुराधा,
मूल,
अभिजीत,
शताभिषज,
श्रविष्ठा,
उत्तर-भाद्रपद
इस समूह के व्यक्तियों में किसी भी बात को चाहे वो सही हो अथवा गलत विरोध करने की आदत होती है। जिसकारण परिवार में तथा समाज में उस व्यक्ति को टकराव का सामना करना पड़ता है। उसकी आन्तरिक शक्ति तो सकारात्मक विचार देती है, जबकि उसकी बाह्य शक्ति में नकारात्मक विचार होते हैं। दूसरे शब्दों में ऐसे व्यक्ति मन से बुरे नहीं होते, लेकिन उनमें अर्न्तनिहित गुण शक्ति उन्हें तामसिक विचार प्रकट करने को बाध्य करती है। मनन या प्रार्थना के द्वारा इस अंसगति को कम किया जा सकता है। तामसिक गुणों वाली स्त्रियां 45 वर्ष की आयु में तथा पुरुष 40 वर्ष की आयु में अपने में असंगतिपूर्ण रिक्तता को विजित करने में सफल होते हैं ।

राजसिक गुण ( अशान्त)
भरणी,
कृतिका,
रोहिणी,
पूर्व-फाल्गुनी,
उत्तर-फाल्गुनी,
हस्त,
पूर्वाषाढा,
उत्तरषाढा,
श्रवण
राजसिक गुणों के लोग अशान्त जीवन जीते हैं। वे एक ही समय में
बहुत से काम करना चाहते हैं, लेकिन ऐसे लोग व्यस्त दिखने का ढोंग करते
हैं मगर करते कुछ नहीं। धन और सम्पत्तिी प्राप्त करना उनका प्रबल लक्ष्य
होता है। उनकी आन्तरिक और बाहूय शक्तियां नकारात्मक होती हैं। वे
स्वार्थी होते हैं। वे इस कहावत पर पूरे उतरते हैं- “जब एक स्त्री को पता
चला कि प्रलय आने वाली है, तो उसने भगवान से प्रार्थना की हे भगवान मुझे
और मेरे सुनार को प्रलय से बचा लो।” राजासिक गुणा के लोग इसी प्रवृति
के होते हैं।

सात्व गुण (सत्य)
पुर्नवसु,
अश्लेष,
विशाखा,
ज्येष्ठा,
पूर्व-भाद्रपद,
रेवती
सात्व गुण के लोग साफ दिल वाले होंगें, वे क्रमबद्ध तथा मेहनती
होते हैं। उनके प्रत्येक पग में एक विलक्षण ताल अथवा प्रभाव होता है। वे
फल की चिन्ता किये बिना कर्म किये जाते हैं। जिस काम को करने की वे
सोच लेते हैं उनको वे पूरा करते हैं। उनकी वाह्य अभिव्यक्ति कुछ अशिष्ठ
होती है। वे चित्रकला, दस्तकारी, खेलों में असाधारण सफलता प्राप्त करते
हैं ।