1. मन्त्रियों तथा अन्य प्रमुख व्यक्तियों द्वारा शपथ ग्रहण समारोह; नगर,भवनों आदि का शिलान्यास; फसल की बोआई आदि के लिए रोहिणी; उत्तरफाल्गुनी, उत्तरआषाढ़ और उत्तरभाद्रपद नक्षत्र शुभ है।
2. BUSINESS - उद्योगों आदि के मुर्हत के लिए अश्विनी, पुष्य, हस्त तथा अभिजीत नक्षत्र शुभ है।
3. VEHICLE - वाहन लेने के लिए श्रवण, श्रविष्ठा, शताभिषज तथा पुर्नवसु नक्षत्र शुभ है।
4. विवाह को छोड़ कर अन्य कार्यों के लिए पुष्य ।
5. नवजात शिशुओं का नामकरण जन्म के 10वें, 12वें या 16वें दिन अनुराधा, पुर्नवसु, माध, उत्तरफाल्गुनी, उत्तरआषाढ़, उत्तरभाद्रपद,शताभिषज, स्वाति, श्रविष्ठा, श्रवण, रोहिणी, अश्विनी, मृगशीर्ष,रेवती, हस्ता तथा पौष नक्षत्रों में सोमवार, बुद्धवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार के दिन शुभ होते हैं।
6. अन्नप्राशन के लिए शिशु के जन्म के 6, 8 तथा 9वें मास में अश्विनी,मृगशीर्ष, पुनर्वसु, श्रविष्ठा, पौष, हस्ता, स्वाति, अनुराधा, श्रवण,शताभिषज तथा चित्रा नक्षत्रों में सोमवार, बुद्धवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार के दिन शुभ होते हैं।
7. कनधेदन-शिशु के जन्म के 12वें या 16वें दिन अथवा यह सम्भव न हो तो जन्म के 6, 7 या 8वें मास में प्रातःकाल अथवा अपराहून में(रात को नहीं) करना चाहिए। जिस दिन दो नक्षत्रों का प्रभाव हो उस दिन को छोडकर सोमवार, बुद्धवार, बृहस्पतिवार तथा शुक्रवार के दिन शुभ है।
8. मुंडन संस्कार - बालक के तीसरे और पांचवे वर्ष की आयु में पुर्नवसु, मृगशीर्ष, श्रविष्ठा, श्रवण, रेवती, पौष, चित्रा, अश्विनी, हस्ता नक्षत्रों में सोमवार, बुद्धवार, बृहस्पतिवार तथा शुक्रवार के दिन शुभ हैं।अमावस और पूर्णमासी के दिन यह संस्कार नहीं करना चाहिए।
9. बालक की प्रथम शिक्षा का आरम्भ 5 वर्ष, 5 मास तथा 5 दिन में आयु में करना चाहिए। दिन की गणना जन्म नक्षत्र के अनुसार 5वें वर्ष में, न की कलैन्डर वर्ष के, करनी चाहिए। अश्विनी, पुनर्वसु,आर्द्रा, हस्ता, चित्रा, स्वाति, श्रवण तथा रेवती नक्षत्रों में सोमवार,बुद्धवार, बृहस्पतिवार तथा शुक्रवार के दिन शुभ है।
10. निवास बदलना-अपने तथा परिवार के जन्म राशि के दिन को छोड़ना चाहिए। अनुराधा, मृगशीर्ष तथा हस्ता नक्षत्र शुभ है।
11. मकान की मरम्मत-शुक्रवार। जब बृहस्पति रोहिणी, मृगशीर्ष, अश्लेष,उत्तरफाल्गुनी, उत्तरआषाढ़, श्रवण तथा उत्तरभाद्रपद नक्षत्रों से गुजरें ।
12. शल्य चिकित्सा-आपरेशन, यदि संभव हो तो कृष्णपक्ष में, पूर्णमासी का दिन छोड़ कर, कराना चाहिए। अपने जन्म नक्षत्र को छोड़ना चाहिए। मंगलवार या शनिवार का दिन जब आर्द्रा, ज्येष्ठा, अश्लेष या मूल नक्षत्र चन्द्रमास की चतुर्थी, नौमी अथवा चौदहवी तिथि को पड़ते हों, शुभ है। जब मंगल और शनि की एक दूसरे पर दृष्टि हो तो उस दिन को भी छोड़ देना चाहिए ।